कहानी के तोर पर
जयशंकर प्रसाद जी की रचनाएं
● एक बार जयशंकर प्रसाद चन्द्रगुप्त और स्कंदगुप्त के साथ जंगल में शिकार पर गए तो उन्होंने
वहाँ अजातशत्रु की पुत्री कामायनी को झरने पर तितली पकड़ते देखा तो उनके मन में प्रेम की एक लहर उड़ी और वो उनके इंद्रजाल में फंस गए और उन्होंने राजश्री थूकते हुए कहा वस एक घुट की कामना हैं लेकिन महाराणा के कारण उनका प्यार इरावती जैसा अधूरा रह गया और मानो आँशुओ की आंधी आ गई