धातु रूप –
संस्कृत व्याकरण में धातु कामतलब है क्रियाओं के मूल रूप। संस्कृत में धातु को
अलग-अलग लकारों में लिखा जाताहै।
जैसे- लट् लकार (वर्तमान काल), लङ लकार ( भुतकाल), लृट लकार (भविष्यतकाल), लोट लकार (आज्ञार्थक), विधिलिङ् लकार(सम्भावनार्थक), इत्यादि।
★अधिकतर परीक्षा में मालूम किया जाता है कि जैसे कोई शब्द दे दिया के तिष्ठथ: शब्द में कौन सा वचन और कौन सा पुरूष है
★इस का उत्तर देने के लिए एक ट्रिक हैं जो इनकें अंतिम शब्द को अलग करके बनाई है हमने ट्रिक देखी की तिष्ठथ: शब्द में थ: अंतिम वर्ण है वह मध्य पुरुष का द्विवचन हैं।
★याद करने का सबसे आसान तरीका
पुरूष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमपुरूष | ति | त: | थ |
मध्यमपुरूष | सि | थ: | थ |
उत्तमपुरूष | आमि | आव: | आम: |
★तब हम किसी भी शब्द का लट लकर बना सकते हैं जैसे इन शब्दों के आगे हस (हँसना) या कोई ओर शब्द को जोड़ देते हैं
पुरूष – -एकवचन– द्विवचन –बहुवचन
प्रथमपुरूष –हसति– हसत: — हसन्ति
मध्यमपुरूष- -हससि –हसथ: — हसथ
उत्तमपुरूष— हसामि–हसाव: — हसाम:
★इसी तरह से आप भी पठ ( पढ़ना) शब्द का बनाकर देखें