Skip to content
Home » Blog » पृथ्वीराज चौहान/Prithvraj Chauhan Biography

पृथ्वीराज चौहान/Prithvraj Chauhan Biography

नाम- पृथ्वीराज चौहान

 

पिता का नाम – राजसोमेंश्वर चौहान

 

माता का नाम कमलादेवी

 

जन्म 1149 ई. अजमेर (राजस्थान)

 

उस समय राजसोमेंश्वर चौहान की वीरता कि कहानियाँ पुरे राजस्थान में प्रसिद्ध थी, राजसोमेंश्वर चौहान कि वीरता के वारे जब दिल्ली के महाराज अंनगपाल ने सुनी तो उन्होंने राजसोमेंश्वर चौहान को आमन्त्रण दिया कि राजसोमेंश्वर चौहान हमारा साथ दे और कमध्य्व्ज को हराने में हमारा सहयोग करे, अंनगपाल महाराज इस युद्ध में विजय हुए, राजसोमेंश्वर चौहान कि वीरता से महाराज अंनगपाल खुश हुए और अपनी छोटी बेटी का विवाह राजसोमेंश्वर से तय कर दिया| कुछ इतिहासकारों का मत है कि पृथ्वीराज चौहान के दादा बीसलदेव ने दिल्ली पर आक्रमण कर अंनगपाल को हराया था इसलिए अंनगपाल ने अपनी छोटी पुत्री कमलावती का विवाह राजसोमेंश्वर चौहान से करा दिया था|

 

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वीराज की माता जी चेदिवंश की राजकुमारी थी

 

ऐसा माना जाता है कि पृथ्वीराज चौहान के नाना अंनगपाल तोमर दिल्ली के अंतिम तोमर वंश के राजा थे|

 

अविश्वसनीय घटना

कुछ इतिहासकारों ने पृथ्वीराज चौहान के बारे में इतना बड़ा चढ़ाकर लिख दिया की उन बातो पर विश्वास नहीं क्या जा सकता|

 

प्रथम घटना- इसमें लिखा गया कि जब पृथ्वीराज चौहान 13 वर्ष के थे उन्होंने बिना हत्यार के एक खुखार शेर को मार गिराया था चलो इस बात पर यकीन कर भी लिया जाये तो दूसरी बात पर तो किसी भी व्यक्ति को भरोसा नहीं होगा|

 

द्वितीय घटना – चन्दरबरदाई ने दिल्ली के बारे में लिखा है की जब प्रथम अंनगपाल ने दिल्ली बसाने लगे थे तब उनके कुल के पुरोहित ने एक लम्बी कील जमीन में गाड़ दी और महारज से कहा की जब तक ये कील इस जमीन में गडी रहेगी तबतक दिल्ली में तोमर वंश का शासन रहेगा क्योकि ये कील शेषनाग के माथे से जा लगी है, अंनगपाल को इस बात पर यकीन नहीं हुआ और अंनगपाल ने उस कील को निकलवा कर देखा तो कील पर खून लगा हुआ था, अंनगपाल को इस बात पर बहुत दुःख हुआ की बो बहुत बड़ी गलती कर गए, अंनगपाल ने दुबारा फिर उस कील को पुरोहित द्वारा गाड़ने कि कोशिश कि पर ऐसा नहीं हो पाया, पुरोहित ने कहा कि महाराज मैने आपका राज्य अमर करना चाहा था| पर ईश्वर की जैसी इच्छा है, पुरोहित बोले अब तोमर वंश के बाद चौहान वंश और फिर मुसलमानों का शासन हो जायेगा|

 

नॉट- अज कुछ लोग पृथ्वीराज चौहान को गुज्जर बताते हे क्योकि उनके नाना जी तोमर वंश के थे| इसलिए पृथ्वीराज चौहान को गुज्जर माना जाता है|

 

चौहान वंश कि स्थापना कब हुई इसका कोई प्रमाण नहीं है पृथ्वीराज रासो के अनुसार चौहान वंश की उत्पत्ति दानवों के विनास करने हेतु एक यज्ञ कुंड से हुई थी| चौहान वंश के 173वे वंश में बीसलदेव थे, सारंगदेव जिन्होंने अजमेर में आना सागर का निर्माण कराया, जयसिंह इनके पुत्र थे जोकि पृथ्वीराज चौहान के दादा थे|

 

पृथ्वीराज चौहान बाल्यकाल से ही तीर कमान,भाला,तलवार और शब्द भेदी बाण में निपुण थे, इनकी रणनीति और कौशल देखकर इनके गुरु श्री राम जी ने भविष्यवाणी की थी कि पृथ्वीराज चौहान नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा|

 

गुजरात के राजा भीमदेव सोलंकी को उनका राज्य विस्तार या यू कहे कि पृथ्वीराज चौहान की वीरता से ईर्ष्या होती थी, बहुत बार तो भीमदेव ने पृथ्वीराज चौहान को मारने के लिए अपने जासूस लगाये लेकिन पृथ्वीराज चौहान हर बार बच निकलते थे जाको राखे साईंया मार सके ना कोय ये कहावत सिद्ध हुई |

 

दूसरी तरह 1163 ई. में गयासुद्दीन बिन साम गौर वंश का शासक बना इसने गजनी पर आक्रमण करके इसे भी जीत लिया और अपने छोटे भाई मुहम्मद गोरी को गजनी दे दिया, वीर योद्धा मुहम्मद गोरी का पहला आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर हुआ यहा इसने करमाथियों को पराजित कर अपना अधिकार स्थापित किया|

 

1178 ई. में वीर मुहम्मद गोरी ने गुजरात (माउन्ट आबू युद्ध) पर आक्रमण किया इस समय यहाँ का शासक भीम सेन द्वितीय या मूलराज द्वितीय था| कशहद के मैदान में गोरी की हार हुई ऐसा माना जाता की मुहम्मद गोरी की ये भारत में पहली हार थी |

 

1191 ई में तराईन का प्रथम युद्ध मुहम्मद गोरी और पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ इस युद्ध में मुहम्मद गोरी की हार हुई|

 

1192 ई. तराईन का द्वितीय युद्ध इस युद्ध में दोनों योद्धा बहुत ही बाहदुरी से लडके लेकिन मुहम्मद गोरी की बहदुरी के सामने पृथ्वीराज चौहान टिक न सके, मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया| इस समय भारत में मुस्लिम शक्ति की स्थापना हुई| गोरी के सिक्को पर एक तरफ देवी लक्ष्मी की आक्रति और दूसरी तरफ कलमा गुदा हुआ था इससे ये प्रतीत होता की मुहम्मद गोरी ने भारत में आकर सभी धर्मो के लोगो का सम्मान किया असली योद्धा वही होता है जो सभी धर्मो का सम्मान करे| गोरी को तुर्की राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *