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भारत छोडो आन्दोलन

भारत छोडो आन्दोलन

कारण

 

समय – 14 अगस्त 1942

 

  • सविनय अवज्ञा आन्दोलन को छोडे हुए लम्बा समय हो गया था| तथा गाँधी जी की संघर्ष विराम संघर्ष रणनीति के तहत एक नया जन आन्दोलन की आवश्यकता थी|
  • भारतीय अगस्त प्रस्ताव तथा क्रिप्स मिशन से संतुष्ट नहीं थे |
  • व्यग्तिगत सत्यग्रह आन्दोलन के कारण भारतीयों में राजनितिक चेतना का विकास हो चूका था|
  • दूसरे विश्व युद्ध के कारण देश कि परिस्थितियां असमान्य थी तथा भारतीयों में अंग्रेजो के खिलाफ असंतोष था|
  • जापान SE एशिया में लगातार बढत लेता जा रहा था तथा उसने वर्मा पर भी अधिकार कर लिया था ठा अगला निशाना भारत था|

वर्धा प्रस्ताव – 14 JULY 1942

  • गाँधी जी ने भारत छोडो आन्दोलन का प्रस्ताव रखा|
  • 8 अगस्त ग्वालियर टैंक मैदान (Bombay) में आन्दोलन प्रारम्भ हुआ|
  • गाँधी जी ने अपना सुप्रसिद्ध नारा करो या मरो दिया|
  • 9 अगस्त को आपरेशन Zero over के तहत गाँधी जी तथा काग्रेस के सभी बड़े नेताओ को गिरफ्तार कर लिया गया|
  • काग्रेस की दूसरी पंक्ति के नेताओ द्वारा आन्दोलन चलाया गया|
  • जयप्रकाश नारायण
  • राममनोहर लोहिया
  • अच्युत पटवर्धन
  • मीनू मनासी
  • अरुणा आसफ अली (महिला)
  • उषा मेहता (महिला)
  • उषा मेहता ने बोम्बे में भूमिगत रडियो स्टेशन स्थापित किया
  • राम मनोहर लोहिया यहाँ से सम्बोधित करते थे|

देश के कई स्थानों पर समानान्तर सरकारों की स्थापना हुई

  • बलिया (UP) – चीतु पांडे (प्रथम समानान्तर सरकार)
  • सतारा (MH) – बाई बी चन्हन, नाना जी पाटिल (सर्वधिक समय तक चलने वाली समानान्तर सरकार)
  • तामलुक (बंगाल) – सतीश समान्त,मांतगिनी हाजरा (जातीय सरकार) नॉट – इन्होने विधुत वाहिनी सेना का गठन किया था|
  • सरकारी इमारतो पर भारतीय झंडा फहरा दिया गया|
  • सदाचार ठा आवागमन के साधनों कोबंधित किया गया|
  • आन्दोलन हिंसक हो गया|
  • अंग्रेजो ने हिंसा का आरोप गाँधी जी पर लगाया|
  • गाँधी जी ने आरोप के विरोध में 21 दिन की भूख हडताल की|
  • 1945 तक भारत छोडो समाप्त हो गया|

महत्व

  • 1857 की क्रांति के बाद भारत का सबसे बड़ा जन आन्दोलन था|
  • समाज के सभी वर्गो ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया यहाँ तक कि पूंजीपति भी इस आन्दोलन में शामिल हुए|
  • यह पहला आन्दोलन था जो पूर्ण स्वतंत्रता के लक्ष्य के साथ किया गया|
  • हालिकि मुस्लिम लीग ने भारत छोडो आन्दोलन का विरोध किया था लेकिन बाद में मुस्लिम लीग ने भी स्तानीय स्थर पर भाग लिया|
  • अग्रेजी सम्राज्य का इस्पाती ढाचा टूट गया था| क्योकि सेना, प्रशासन तथा पुलिस कि सहानुभूति आंदोलनकारियो के साथ थी|
  • इस आन्दोलन के बाद भारत कि आजादी तय हो चुकी थी|

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