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भारतीय संविधान का विकास-Evolution of Indian constitution

भारतीय संविधान का विकास

(Evolution of Indian constitution)

भारतीय संविधान

  • एक ऐसादस्तावेज जिस के तहत किसी देश की शासनिक एंव व्यवस्था कार्य करती है |
  • संविधान लिखित व अलिखित दोनों प्रकार का हो सकता है |
  • भारत में संविधान निर्माण की प्रकिया राष्ट्रीय अन्दोलन से प्रारम्भ हुई पर इसकी नींव 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट से राखी जा चुकी थी |

नोट

  • भारत में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी 1600 ई.में व्यापार करने की उधेश्य से भारत आयी |
  • महारानी एलिजाबेथ के चाटर्र द्धारा भारत में व्यापार करने की अनुमाती प्राप्त थी |
  • कम्पनी शुरुआत में सिर्फ व्यापारिक कार्यो तक सीमित थी |
  • परन्तु 1757 के प्लासी के युद्ध और 1764 के बक्सर के युद्ध के बाद कम्पनी एक क्षेत्रीय शक्तित के रूप में उभरने लगी |
  • कम्पनी ने 1765 में बंगाल बिहार उड़ीसा में दीवानी अधिकार प्राप्त कर लिए और यही से कम्पनी के क्षेत्रीय शाक्ती बनने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई |
  • 1858 में सिपाही विद्रोह के पशचात कम्पनी का शासन स्वतंत्रता प्राप्ति तक अनवरत रूप से चलता रहा |

ऐतिहासिक प्रष्टभूमी

1 कम्पनी का शासन                    2 क्राउन का शासन

(1773 -1858)                           (1858 -1947 )

कम्पनी का शासन 

(1773 -1858 ई.)

रेगयुलेटिंग एक्ट 1773 :

  • इस आधिकार का अत्यधिक संवैधानिक महत्व है |
  • इसके तहत पहली बार कंपनी के प्रशासनिक एवं राजनितिक कार्यो को मान्यता मिली |
  • इसी के द्धारा भारत में केन्द्रीय प्रशासनिक एवं राजनितिक कार्यो को मान्यता मिली |
  • इसी के द्धारा भारत में केन्द्रीय प्रशासन की नींव पड़ी |
  • इस अधिनियम के तहत बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल बना दिया गया |
  • गवर्नर जनरल की सहायता के लिए 4 सदस्यीय कार्यकारी परिषद का गठन किया गया |
  • पहले गवर्नर जनरल वोरेन हेस्टिंग थे |
  • इसके तहत मद्रास तथा बंबई के गवर्नर बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीनकार कर दिये गये |
  • इस अधिनियम के तहत 1774 में कलकत्ता में एक उच्चतम न्यालय की स्थापना की गयी |
  • इसका उधेश्य भ्रष्ट कर्मचारीयों पर प्रतिबन्ध लगाया था |
  • पहले मुख्य न्यायाधीश चैमबर्स ,लीमैस्टर एवं हाइड की नियन्त्रण हो गया |
  • इसके भारत में राजस्व नागरिक एंव सैन्य मामलों की जानकारी ब्रिटिश सरकार को देना आवश्यक कर दिया |

1781 का संशोधन अधिनियम 

  • रेगयुलेटिंग एक्ट 1773 की कमियों को दूर करने के लिए लाया गया था |
  • इसे अमेडिंग एक्ट या बन्दोबस्त कानून भी खा जाता है |
  • इस अधिनियम के तहत गवर्नर जनरल तथा उसकी कौसिस को न्यायालय के क्षेत्राधिकार से मुक्त कर दिया गया |
  • इस कानून द्धारा कलकत्ता के सभी निवासियों को उच्च्तम न्यायालय के अधीन कर दिया गया |
  • इसमें कहा गया कि न्यायालय हिन्दूओं के कानूनों के हिसाब से हिन्दुओं को तथा मुस्लिमों के कानून के हिसाब से मुस्लिमों के मामलो तय करें|
  • बंगाल जुडीकेयर एक्ट
  • इस अधिनियम को एडमण्ड बर्क की सिफारिश पर लाया गया इसलिए इसे एडमण्ड वर्क अधिनियम भी कहा गया |

1784 पिट्स इण्डिया एक्ट 

  • इस कानून के तहत कम्पनी के राजनितिक एवं वाणिज्यिक कार्यो को प्रथक कर दिया गया |
  • इस कानून के तहत कम्पनी के व्यापारिक मामलों के आधीक्षण की अनुमति एक निदेशक मण्डल को दी गयी |
  • जबकी राजनितिक मामलों का प्रबंधन एक नियन्त्रण बोर्ड के द्धारा किया गया |
  • इस प्रकार भारत में शासन की व्यवस्था प्रारंभ हुई |
  • नियंत्रित भारत में सभी नागरिक सैन्य सरकार व राजस्व गतिविधियों का नियन्त्रण करें |
  • इसी कानून के द्धारा ब्रिटिश सरकार को कम्पनी के कार्यो और प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त हुआ |

1786 का अधिनियम

  • 1786 में लार्ड कार्नवालिस को बंगाल का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया है |
  • कार्नवालिस ने यह पद स्वीकार करने से पहले मांग रखी की उसे सेनापति का पद भी दिया जाए |
  • उसकी मांग को स्वीकार कर लिया गया |
  • लार्ड कार्नवालिस कमाण्डर इन चीफ सेनापति बनने वाला पहला गवर्नर जनरल था |
  • इस अधिनियम के तहत विशेष व्यवस्था की गयी की अब गवर्नर जनरल अपनी कोंसिल के निणयों को रद्द या लागू कर सकता है |

1793 का चार्टर एक्ट

  • इस अधिनियम क्र द्धारा जो शाक्तियां लार्ड कार्नवालिसको दी गई थी वे सभी भविष्य में बनने वाले सभी गवर्नर जनरलों के लिए प्रस्तावित कर दी गयी |
  • इस अधिनियम के द्धारा गवर्नर जनरल को बम्बई एवं मद्रास प्रेसीडेंसी के ऊपर नियन्त्रण की शक्ति प्रदान की |
  • इस अधिनियम द्धारा कम्पनी कम्पनी को व्यपार के एकाधिकार को 20 वर्षो के लिए बढा दिया गया |
  • इस अधिनियम में व्यवस्था की गयी कि नियन्त्रण मंडल के सदस्य एवं कर्मचारीयों का वेतन भारतीय राजस्व से दिया जाए |

1813 चार्टर एक्ट

  • इस कानून ने भारत में कम्पनी के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त का दिया |
  • यानी अब भारतीय व्यपार को सभी ब्रिटिशों के लिए खोल दिया गया |
  • सिर्फ चाय के व्यापार और चीन में कम्पनी के एकाधिकार को बनाये रखा |
  • इस अधिनियम द्धारा भारत में कम्पनी शासिय क्षेत्रों पर ब्रिटेन के राजा की प्रभुता को स्थापित किया |
  • ईसाईं मिशनरियों के लिए भारत के दरवाजे खोल दिये गये |
  • इस अधिनियम द्धारा ब्रिटिश इलाकों में पशिचमी शिक्षा के प्रसार को बढावा दिया |
  • इस अधिनियम के तहत भारत की स्थानीय सरकारों को अपने व्यक्तियों पर कर लगाने के लिए अधिकार दिया गया |

1833 का चार्टरअधिनियम

  • इस अधिनियम के तहत बंगाल के गर्वनर जनरल के भारत का गर्वनर जनरल बना दिया गया |
  • लार्ड बिलियम बेंटिक भारत के पहले गर्वनर जनरल थे |
  • बम्बई तथा मद्रास के गवर्नर जनरल को पुरे ब्रिटिश भारत में विधायिक के सभी असीमित अधिकार प्रदान किये गये |
  • इस अधिनियम के तहत आइकोसेनिक अम्ल को व्यापारिक निकाय के रूप में की जाने वाले गतिविधियों को समाप्त क्र दिया गया |
  • अब आइकोसेनिक अम्ल विशुद्ध रूप से प्रशासनिक निकाय बन गया |
  • 1833 के एक्ट के तहत सिविल सेवा परीक्षा की खुली प्रतियोगीता कराने का प्रयास किया गया |
  • बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के विरोध के कारण इसे समाप्त कर दिया गया |
  • भारत में दास प्रथा को गैर कानूनी धोषित कर दिया गया |
  • गर्वनल जनरल को निदेश दिया गया कि भारत में दास प्रथा के समाप्त करने के लिए उचित कदम उठाए |

1853 का चार्टर एक्ट

  • इस अधिनियम के तहत गवर्नर जनरल की परिषद के विधायी एवं प्रशासनिक को अलग अलग कर दिया गया |
  • गवर्नर जनरल के लिए एक नई परिषद का गठन किया गया जिसे भारतीय विधान परिषद कहा गया |
  • परिषद की इस शाखा ने छोटी संसद की तहत कार्य किया |
  • इस अधिनियम के तहत पुनः सिविल सेवकों के लिए खुली प्रतियोगीता परीक्षा का आयोजन किया गया |
  • सिविल सेवा अब भारतीयों के लिए खोल दी गयी |
  • इसके लिए 1854 में मैकाले समिति गठित हुई |
  • इस अधिनियम के तहत पहली बार भारती केन्द्रीय विधान परिषद में स्थानीय प्रतिनिधित्व प्रारंभ हुआ |
  • गवर्नर जनरल की परिषद में 6 सदस्यों में 4 भारतीयों प्रान्तों से थे |
  1. बंगाल
  2. मद्रास
  3. बम्बई
  4. आगरा

ब्रिटिश ताज का शासन (1858 -1947 )

1.1858 का भारत सरकार अधिनियम

  • इस अधिनियम का निर्माण 1857 के विद्रोह के बाद हुआ |
  • इस अधिनियम के तहत ईस्ट इण्डिया कम्पनी को समाप्त कर दिया गया |
  • अब भारत का शासन ब्रिटिश क्राउन का नाम बदलकर वायसराय कर दिया गया |
  • लार्ड कैनिंग भारत के प्रथम वायसराय थे |
  • इस अधिनियम के तहत 1813 के अधिनियम से प्रारंभ हुए निदेशक मण्डल एवं नियन्त्रण बोर्ड को समाप्त कर दिया गया |
  • भारत से द्धैध शासन प्रणाली स्माप्त हुई |
  • इस अधिनियम से एक नये पद भारत सचिव का सुजन किया गया |
  • ये सचिव ब्रिटिश केबिनेट का सदस्य था ब्रिटिश संसद के प्रति उत्तरदायी था \
  • सचिव की सहायता के लिए 15 सदस्यीय परिषद का गठन किया गया जिसका अध्यक्ष भारत सचिव था |

1861 का भारत परिषद अधिनियम

  • वायसराय को आपातकाल में बिना काउंसिल की संस्तुति के अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त हुई |
  • ऐसे अध्यादेश की अवधि छ ;माह होती थी |
  • इस अधिनियम में प्रावधान था कि वायसराय कुछ भारतीयों को भी शामिल किया गया |
  • इस अधिनियम में प्रवाधान था कि वायसराय कुछ भारतीयों को गैर सरकारी सदस्य के रूप में मनोनीत कर सकता था |
  • 1862 में लार्ड कैनिंग ने तीन भारतीयों को मनोनीत किया
  • बनारस के राजा
  • पटियाला के महाराजा
  • सर दिनक राव
  • बंगाल उत्तर पशिचम प्रांत  पंजाब में विधान परिषदों का गठन किया गया

(1867 )     (1866 )                        (1897 )

1892 का भारत परिषद अधिनियम

  • इस अधिनियम के तहत केन्द्रीय एंव प्रांतीयो विधान परिषदों में गैर सरकारी सदस्यों की संख्या बढायी गयी |
  • हालांकि बहुमत सरकारी सदस्यों का ही रहता था |
  • इस अधिनियम के तहत विधान परिषदों में बजट करने की शक्ति प्राप्त हुई \

1909 का भारत परिषद अधिनियम

  • लार्ड मिन्टो भारत के वायसराय तथा लार्ड मार्ले इंग्लैड में भारत सचिव थे |
  • इसे मार्ले मिन्टो सुधार भी कहा जता था |
  • केन्द्रीय परिषद में सदस्य संख्या 16 से 60 तक कर दी गयी
  • इस एक्ट के तहत पहली बार भारतीयों को वायसराय और गवर्नर की कार्य परिषद के साथ एशोसिएशन बनाने का प्रावधान किया गया |
  • सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की कार्यपालिका के पहले भारतीय सदस्य बनें इन्हें विधि सदस्य बनाया गया |
  • मुस्लिम समुदाय के लिए प्रथक प्रतिनिधित्व का उपबन्ध किया गया |
  • इस अधिनियम के तहत मुस्लिमों को साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व दिया गया |
  • लोर्ड मिन्टो को साम्प्रदायिक निर्वाचन का जनक कहा जाता है |

भारत शासन अधिनियम 1919

  • माणटेग्यु भारत के राज्य सचिव तथा लोर्ड चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे |
  • इसे माणटेग्यु चेम्सफोर्ड सुधार भी कहा जाता है |
  • इस अधिनियम में मुस्लिमों, सिखों ,ईसाईयों,यूरोपियों ,एवं आंग्ल भातीयों के लिए प्रथक निर्वाचन की व्यवस्था को बढावा दिया |
  • इस अधिनियम के तहत पहली पहली बार भारत में प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली लागू की गयी |
  • द्धिसदनीय व्यवस्था की शुरुवात की गयी |
  • भारतीय विधान परिषद के स्थान पर राज्य सभा एवं लोकसभा का गठन हुआ |
  • भारतीय कार्यो की देखरेख के लिए भारतीय उच्चायुक्त की न्युक्ति की गयी |
  • इस अधिनियम के तहत प्रांतीय विषयों को आरक्षित और ह्स्तान्न्त्रिक में विभक्त कर दिया गया |
  • इस तरह भारत में पुनः दैध्ध शासन पद्धति की शुरुआत हुई |
  • इसके द्धारा एक लोक सेवा आयोग का गठन किया गया इस तरह 1926 में लोक सेवकों की भर्ती के लिए केन्द्रीय लोक सेवा आयोग का गठन किया गया|
  • इस अधिनियम के द्धारा केन्द्रीय बजट को राज्यों के बजट से अलग कर दिया गया और राज्य विधानसभओं को अपना बजट स्वयं बनाने के लिए अधिक्रत किया गया |

आरक्षित बिषय                  हस्तान्तरिक विषय

(कार्यपालिका परिषद की सहायता से )         (निर्वाचित सदस्य )

1 गवर्नर शासन करता था                      1 गवर्नर शासन करता था

2 केन्द्रीय सूची के विषय                         2 प्रांतीय विषय

3 विदेशी मामले सुरक्षा                            3 स्थानीय स्वशासन शिक्षा,

डाक तार आदि                                    चिकित्सा,भूमी,जल,क्रषि,

आदि

भारत शासन अधिनियम 1935

  • अधिनियम =321 (अनुच्छेद )
  • अनुसूची -10
  • इस अधिनियम के तहत दिल्ली में एक संघीय न्यायालय की स्थापना की गयी|
  • इस अधिनियम के तहत संघीय सरकार की स्थापना की गयी |
  • केंद्र और प्रांतो में शक्तियों का विभाजन किया गया |

केंद्र सूची –           59 विषय

राज्य सूची –         54 विषय

समवर्ती सूची –      36  विषय

  • प्रांतो में द्धेद शासन व्यवस्था का अंत कर दिया गया |
  • केंद्र में द्धैध शासन व्यवस्था की शुरुआत की गयी |
  • इसने 11 राज्यों में से 6 में दिधस्दनीय व्यवस्था प्रारंभ की |
  • बंगाल ,बम्बई,मद्रास,बिहार,संयुक्त,प्रांत,और असम में दिध्सनीय व्यवस्था के अन्तर्गत विधान परिषद और विधानसभा का गठन किया गया |
  • इस अधिनियम ने दलितों महिलाओं और मजदूरवर्ग के लिए अलग से निर्वाचन की व्यवस्था कर सम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व प्रदान किया |
  • इस अधिनियम क्र द्धारा 1858 में स्थापित भारत परिषद को समाप्त कर दिया |
  • इसमे मताधिकार का विस्तार कर के 18%जनता को मत करने का अधिकार दिया |
  • RBI की स्थापना केन्द्रीय बैंक के रूप में की गयी |

भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947

  • लार्ड माउन्टबेंट के आधार पर भारत का विभाजन हुआ |
  • 20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमन्त्री क्लाइमेंट इटली ने धोषणा की कि 30 जून 1947 को भारत से ब्रिटिश शासन समाप्त हो जायेगा |
  • इस धोषणा से मुस्लिम लीग ने आन्दोलन किया तथा विभाजन की बात कही|
  • 3 जून 1947 को लार्ड माउन्टबेंट ने विभाजन को योजना पेश की |
  • जिस कांग्रेस और मुस्लिम लीग द्धारा स्वीकार कर लिया गया |
  • 15 अगस्त 1947 को भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बना |
  • इस अधिनियम के तहत वायसराय का पद समाप्त कर दिया गया |
  • इस अधिनियम के तहत ब्रिटेन में भारत का सम्राट को समाप्त कार दिया |
  • इस अधिनियम के तहत भारत के राज्य सचिव सिविल सेवा में नियुक्त करने ओए पदों में आरक्षण की प्राणाली को समाप्त कार दिया |
  • इस अधिनियम द्धारा भारत में ब्रिटिश शासन समाप्त कर 15 अगस्त 1947 को इसे स्वतंत्र एवं संप्रभु राष्ट्र धोषित कर दिया गया |
  • इस अधिनियम के द्धारा भारत को दो स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्रों भारत और पाकिस्तान में विभाजन कर दिया गया |
  • भारत और पाकिस्तान में गवर्नर जनरल के पद का स्रजन किया गया जिनकी नियिक्ति नए राष्ट्र की केबिनेट की सिफारिश पर ब्रिटिश के शासन को करनी थी |
  • इस अधिनियम द्धारा दोनों राष्ट्र में संविधान सभाओं को अपने देश का संविधान बनाने और उसके लिए किसी भी देश के संविधान को अपनाने की शक्ति दी गई |
  • इस अधिनियम द्धारा भारतीय रियासतों को यह स्वतंत्रता दी गई कि वे चाहे तो भारत डेमिनियन के साथ मिल सकतीं हैं स्वतंत्र रह सकतीं हैं |

नोट  

  • 14-15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को भारत से ब्रिटिश शासन का अंत हो गया |
  • लार्ड माउंटबेन स्वतंत्र भारत के नये गवर्नर जनरल बने |
  • उन्होंने जवाहर लाल नेहरू को भारत के पहले प्रधानमंत्री की शपथ दिलाई |
  • 1946 में गठित संविधान सभा को संसद के रूप में स्वीकार किया गया |

नोट 

  • 1946 में अन्तरिम सरकार का गठन किया गया |
  • वायसराय परिषद का अध्यक्ष तथा नेहरू उपाध्यक्ष बनाए गये|

जवाहर लाल नेहरू       –          विदेशी मामले\राष्ट्रमंडल सम्बन्ध

सरदार वल्लभ भाई पटेल –         ग्रह एवं सुचना प्रसारण

राजेन्द्र प्रसाद                –          खाद एंव क्रषि

जगजीवन राम               –          श्रम मंत्री

बलदेव सिहं                  –           रक्षा मंत्री

लियाकत अली खां          –             वित्त मंत्री

आसफ अली                  –              रेलवे एवं परिवहन मंत्री

सी.राजगोपालाचारी       –             शिक्षा मंत्री

आई.आई.चुंदरीगर          –          वाणिज्य मंत्री

गजनफर अली खां           –             स्वास्थ्य मंत्री

जोगेंद्र नाथ मण्डल           –           कानून मंत्री

जॉन मथाई                    –             उघोग एवं नागरिक आपूर्ति

सी .एच.भाभा                –               कार्य,खान एवं ऊर्जा

अब्दुर-रव-निश्तार           –               डाक एवं वायु

            स्वतंत्र भारत का पहला मंत्रिमंडल;

जवहार लाल नेहरू          –                प्रधानमंत्री विदेश मंत्री

सरदार पटेल                  –              ग्रह सुचना प्रसारण,राज्यों,के मामले

राजेन्द्र प्रसाद                 –               खाद्य एवं क्रषि

आब्दुल कलाम आजाद      –              शिक्षा मंत्री

आर.के.शंमुगम शेट्टी         –               वित्त मंत्री

डा.भीम राव अम्बेडकर     –               कानून मंत्री

जॉन मथाई                    –               रेल एवम् परिवहन

जगजीवन राम               –                श्रम मंत्री

बलदेव सिहं                   –                रक्षा मंत्री

राजकुमारी अम्रत कौर      –              स्वास्थ्य मंत्री

सी.एच.भाभा                 –                वाणिज्य

रफी अहमद किदवई         –               संचार

डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी    –             उघोग एवम् आपूर्ति

नहर विष्णु गाडगिल        –              कार्य खान एंव ऊर्जा

नोट ;   अन्तरिम सरकार एवं स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल दोनों में 14 सदस्य  थे |

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